मुश्किलों को हराकर बनी साहस की मिसाल

Delhi | September 2018

Sunita Chaudhary

Female Auto Driver

Sunita Chaudhary

Female Auto Driver

बारे में:

बुरे हालत और मुश्किल समय में इंसान ज़्यादातर हार मान लेता है | इन हालातों से डरना नहीं पर हिम्मत के साथ लड़ना चाइए | हौसले बुंलद हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं है| ऐसी ही मिसाल कायम की सुनीता चौधरी जी ने, जो उत्तर भारत की पहली महिला ऑटो रिक्शा चालक हैं| सुनीता जी को साल 2017 में भारत की 100 शिखर महिलाओं में से एक होने का गौरव भी हासिल हुआ, जिसके लिए उन्हें राष्ट्रपति भवन में सम्मानित किया गया था | उनके संघर्ष की कहानी, कोई आम कहानी नहीं है| उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव से ताल्लुक रखने वाली सुनिता का संघर्ष किसी कहानी से कम नहीं है|

सुनिता का बाल विवाह करवा दिया गया था| शादी के बाद अक्सर ससुराल वाले दहेज के नाम पर मारा-पीटा करते थे और Mental Torture करते थे| उनके ससुराल वाले दहेज़ के भूके और माता पिता रूढ़ीवादी थे| एक बार की बात है, सुनीता के ससुराल वाले उन्हें हरयाणा के अपने घर लेके आये जहां पे उन्होंने उसे बहुत पीटा और अधमरा हालत में छोड़ दिया | वो अपनी जान बचाने के लिए भागी और इस एक हादसे ने सुनीता जी की ज़िन्दगी बदल दी| सुनीता जी वहां से दिल्ली आई | अनजान शहर में बिना किसी जानपहचान के, सुनीता जी ने दर दर की ठोकरें खाई लेकिन हिम्मत नहीं छोड़ी| उनहोंने अपना पेट भरने के लिए काम ढूंढा, छोटे-मोठे काम किये, बर्तन मांजे, सब किया|

एक दिन उन्हें ऑटो रिक्शा चलाने का ख्याल आया| उन्होंने गाड़ी चलाने का प्रशीक्षड लिया और साल 2004 में ऑटो रिक्शा चलाना शुरू कर दिया, लेकिन ये इतना आसान नहीं जितना लगता था| उस दौरान उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था, पर वो डटी रहीं| आज सुनीता करीब 40 साल की हैं| आज भी रोज सुबह सफेद सूट- सलवार और भूरे रंग के जूते पहन कर दिल्ली की सड़कों पर ऑटो रिक्शा चलाती हैं| सुनीता चौधरी जी की प्रेरणात्मक कहानी जानने के लिए देखें ये जोश टॉक|